Home
> Uncategorized > आख़री मुहब्बत -२
आख़री मुहब्बत -२
“मेरे बारे में क्या विचार है?”
“मैं कुछ समझी नहीं? तुम मेरी दोस्त हो, तो अच्छा ही विचार होगा.” रितिका ने कहा
“नहीं नहीं, मेरे साथ प्रेक्टिस के बारे में.”
“ओह्ह…” अब रितिका को पूरी बात समझ में आयी. लेकिन ये समझ नहीं आया के कैसे जवाब दे.
“देखो, मैं तुम्हारी दोस्त हूँ और तुम जानती हो के मुझे लड़कियों में कोई इंटेरेस्ट नहीं है, मेरा हमेशा बॉय फ्रेंड रहा है और मेरा उनसे शारीरीक सम्बन्ध भी रहा है. मैं सिर्फ तुम्हारी मदद करना चाहती हूँ. तुम्हे ठीक न लगे तो बता दो, हम कभी इस बारे में बात नहीं करेंगे. लेकिन मैं तुम्हारे और तुम्हारे बॉय-फ्रेंड के बीच में ज़िन्दगी भर का प्यार देख सकती हूँ और मैं नहीं चाहती के रिश्ते के शुरुआत में ३ महीनों की दूरी के कारण कुछ रुकावट आये. लड़के इस तरह के ही होते हैं, अगर साथ में नहीं हैं तो सब करतूतें सूझती हैं.”
रितिका सोच में पड़ गयी, न तो ना बोलते बना न हाँ.
“देखो तुम मेरा झूठा भी नहीं पीती, तो धीरे धीरे करते हैं. मेरे पास बीयर है, दोनों सहेलियां एक ही बोतल से पीते हैं, तुमसे बन पड़े तो आगे करेंगे, नहीं तो बात ख़त्म.”
रितिका कभी कभार बीयर पी लेती थी तो उसे लगा की चलो, एक बोतल से ट्राई करते हैं, उसे पूरा यकीन था के वो कर नहीं पायेगी और बात आगे बढ़ नहीं पायेगी. उसने और लोगों को देखा था एक ही बोतल से बारी बारी पीते, सो उसे लगा के कोई बड़ी बात नहीं और कोशिश करने में कोई हर्ज नहीं.
भारती बीयर ले आयी, रितिका के सामने बोतल खोली और पहला घूँट रितिका को भरने दिया. रितिका ने बोतल से मुंह लगाया, घूँट लिया और कोशिश की कि बोतल के मुंह पे बिलकुल भी गीलापन न रहे. जाहिर है, के ऐसा नामुमकिन है, तो उसने अपने रुमाल से बीयर की बोतल का मुंह साफ़ करने की सोची लेकिन भारती ने उससे पहले ही बोतल रितिका के हाथ से झटक ली. फिर भारती ने बोतल से एक घूँट भरा, नेपकिन से बोतल का मुंह साफ़ किया और रितिका को वापिस बोतल पकडाई. बोली-“लो, पहले साफ़ बोतल से ट्राई करो.” रितिका को लगा कि हाँ, ठीक ही तो है, कदम कदम करके आगे बढ़ो. उसने एक घूँट और ली. भारती ने ऐसा ३-४ बार किया. बोतल अब आधी खाली हो गयी थी और रितिका को हलके से buzz होने लगी. अब भारती ने बोतल मुंह से लगाई और बिना पोंछे रितिका को बोतल पकड़ा दी. रितिका को दिल तो बहुत हुआ साफ़ करने का, लेकिन भारती उसका झूठा पहले ही पी चुकी थी, इसलिए उसे लगा के कम से कम कोशिश तो की जाए. जब वो बोतल के गीले मुंह को अपने होठों के पास लाई, उसे हल्की हल्की सी लिपस्टिक की महक आयी. वो इस महक को पहचानती थी क्यूंकि ये भारती के लिपस्टिक की महक थी. उस ने कोशिश की कि बोतल के मुंह की और न देखे, क्यूंकि गीलेपन पर नजर पड़ने पर पता नहीं वो पी पाए या नहीं. उसने जैसे ही बोतल को अपने मुंह से लगाया, हल्का सा गीलापन उसके होठों को छू गया. उसने अपने ऊपर थोडा काबू किया, मुंह खोला, हल्का सा घूँट लिया और बोतल वापिस भारती को पकड़ा दी. भारती ने उस की और ऐसे देखा जैसे वो कोई गोल्ड मेडल जीत के आयी हो. लेकिन रितिका को उस गीलेपन के होठों पे छूने से ऐसे लगा के अब तक उसके होठों पे कुछ रखा है, सो उसने अपने गीली जीभ को अपने होठों पे फेरा. उस ने बीयर की घूँट अपने हलक से नीचे उतारी ही थी कि भारती ने वापिस उसके हाथ में बीयर पकड़ा दी. कोई एक तिहाई बीयर बची थी अब उस बोतल में. भारती बोली – “एक घूँट में पी सकती हो?” भारती ने सोचा, चिंता की क्या बात है, चढ़ भी गयी तो इसी मंजिल पे उसका अपना कमरा है, नहीं तो भारती के साथ भी सो सकती है.
उसने बोतल को अपने मुंह से लगाया और गटागट एक घूँट में बची हुई बीयर पी गयी. एकदम से उसे अपने दिमाग में हल्कापन महसूस हुआ और उसे अब झूठा पीना अजीब भी नहीं लगा.
“शाबास”, भारती बोली. रितिका ने उसकी और देखा, भारती अब अपने हाथ में एक और बीयर ले के बैठी थी. रितिका ने शायद सोचा- “मैंने कभी आधी बोतल भी नहीं पी थी, आज इतनी पी ली है, लेकिन झिझक उतारने के लिए शायद पहली बार ज़रूरी भी है.” भारती ने एक घूँट पी, फिर बीयर वापिस रितिका को पकडाई रितिका ने एक घूँट और भरी. उसे हैरानी हो रही थी कि झूठा पीने पे बिलकुल अजीब नहीं लगा. बोली – “थैंक्स, भारती, पता नहीं क्यूँ पूरी ज़िन्दगी मैंने झूठा क्यूँ नहीं पीया. सब लोग मुझे थोडा अजीब से देखते थे जब मैं अकेली झूठा पीने से मना कर देती थी.” दोनों भारती के बिस्तर पे ही बैठे थे, लेकिन भारती अब रितिका के एकदम साथ आ के बैठी थी. दोनों के कूल्हों से जांघे तक सटी हुई थी. रितिका ने वापिस भारती को बोतल पकडाने की कोशिश की, लेकिन भारती ने उसकी बाजू पकड़ के अपनी गर्दन के गिर्द घुमा के सीधे उसके हाथों को पकड़ के हलके से एक घूँट ली. मूलत: रितिका की दायीं बाजू भारती के कंधे पे थी और उसी हाथ में बीयर थी, जिससे भारती ने एक घूँट भरी. रितिका ने अपनी घूँट लगाने के लिए बाजु भारती के कंधे से हटानी चाही लेकिन भारती ने उसके हाथ पकड़ पे बोला – “ऐसे ही पीयो यार” रितिका ने अपना मुंह अपने हाथ की और झुकाया और जैसे वो घूँट भर रही थी, भारती ने अपनी बाईं बांह रितिका की कमर के गिर्द लपेटी और हलके से रितिका के गाल को चूमा.
रितिका को हल्का सा झटका लगा, उसे याद आया कि वो बीयर पीने नहीं, कुछ और करने बैठे थे. उसे गालों पर किस्स बिलकुल अजीब नहीं लगी लेकिन उसे मालूम था, कि असली किस्स के लिए अभी और आगे जाना है. उसने सुना था कि किस्स करने कि टेक्नीक भी होती हैं और उसे थोड़ी ख़ुशी सी भी हुई कि वो एक एक्सपर्ट से सीखेगी, हालांकि वो किसी को इस बारे में शायद कभी बता न पाए. इस बार जब रितिका ने बोतल भारती के मुंह से लगाई, उसने भारती के गालों पर हलके से चुम्बन जड़ दिया. भारती ने घूँट भरी और रितिका की और देख कर मुस्कराई. दोनों को समझ में आ गया था कि इस के आगे बातें करने कि बजाय बाकी काम होंगे क्यूंकि बातों में दोनों को थोड़ी शर्म आयेगी, लेकिन बीयर के बहाने प्रेक्टिस पूरी हो जायेगी.
भारती ने अपने बांयें हाथ से रितिका की कमर को सहलाना शुरू किया. रितिका के लिए ये नया अनुभव था, किसी ने कभी इस तरह से उसे छुआ नहीं था. बीयर अब ख़त्म सी हो गयी थी. भारती ने रितिका के हाथ से बीयर ले कर फर्श पे रखी और रितिका की और मुडी. भारती के नर्म चूचे रितिका के चूचों पर आ दबे. रितिका को अनुभव था लड़कों और लड़कियों, दोनों से गले मिलने का, लेकिन ये कुछ और था. वो भारती को बताना नहीं चाहती थी के ये कितना सुखद अनुभव था. लेकिन भारती शायद समझ गयी थी क्यूंकि चूचों के टकराव के साथ भारती थोडा रुकी और रितिका की आँखों में आँखें डाली. रितिका को ऐसा लगा कि वो शर्म में डूब मरेगी, लेकिन उसे लगा कि प्रेक्टिस ही तो है, क्या फर्क पड़ता है. रितिका ने आँखें झपकी लेकिन भारती ने अपने हाथ से उसका चेहरा ऊपर उठाया और दोनों की आँखें फिर मिली. भारती ने अपना हाथ उसकी ठोडी से हटा के गले से सरकाते हुए रितिका के कानों के गिर्द फिराया और रितिका के सर के पीछे ले जा कर हलके से रितिका के सर को पकड़ा. रितिका को समझ में आ गया कि उसे भी ऐसा ही करना है सो उसने भी अपने हाथ से भारती के गाल को सहलाया, अपनी उँगलियों को भारती के चेहरे के गिर्द घुमाया और भारती के बालों पर फहराते हुए उसके सर के पीछे ले गयी. भारती ने उसकी और ऐसे देखा कि अभी भी कुछ कमी है, रितिका को समझ में आ गया और उसने अपने बाएं हाथ से भारती की कमर थाम ली. अब भारती आगे भी झुकी और उसने रितिका के चेहरे को अपनी और भी झुकाया. जैसे ही दोनों के होंठ नजदीक आये, भारती ने हलके से रितिका के होठों को अपने होठों से चूमा. सिर्फ एक हल्का सा स्पर्श. रितिका ने भी भारती के होठों को हल्का सा चूमा, लेकिन भारती के होंठ हलके से खुले थे, और गीले भी. भारती ने रितिका के ऊपर वाले होंठ को अपने होठों से बड़ी नरमी से चूमा. रितिका ने भी अपने होंठ थोड़े खोले. कुछ पलों के लिए दोनों के होंठ यूँ ही जड़े रहे कि भारती ने रितिका को पूरी तरह अपने आगोश में ले लिया. रितिका के मम्मे भारती के मम्मों से दब कर भिंचे जा रहे थे. रितिका को ये सब गलत भी लग रहा था और सही भी. भारती ने अपनी बाहें रितिका की कमर के गिर्द ज़ोरों से कस दी. रितिका के होंठ और खुले और भारती ने अपने मुंह को और खोला. रितिका अभी तक झूठे के बारे में सोच नहीं रही थी, लेकिन जैसे ही भारती की जीभ ने उसके होंठों को छुआ, वो थोडा पीछे को हुई. लेकिन भारती के हाथ ने उसके सर को पीछे से थाम रखा था और इससे पहले किरितिका कुछ सोच पाती, भारती की जीभ रितिका के मुंह के अन्दर थी. रितिका ने अपने आप पर बहुत जोर लगाया और अपनी जीभ से भारती की जीभ को छुआ. भारती ने अपनी जीभ और होठों से रितिका की जीभ को चूस डाला. रितिका को लगा कि इतनी बड़ी बात लग रही थी, लेकिन है नहीं. उस ने वापिस भारती की जीभ को चूसना शुरू कर दिया. कुछ पलों तक ऐसा चलता रहा. रितिका को ये सब सपने जैसा लग रहा था, और उसे शायद समय का अंदाजा भी न लग रहा हो. कितनी बार ज़िन्दगी में होता है कि एक झिझक ऐसे खुलती है कि लगता है जैसे बहुत भारी बोझ सा उठ गया हो, आज़ादी सी मिल जाती है. ऐसा कुछ मिनटों तक चला होगा और पूरी रात चलता रहता अगर उसे अगला झटका न लगता. ये झटका उसे तब लगा जब भारती के हाथ ने रितिका की कमर से हल्का सा टी-शर्ट ऊपर उठाया और अपने ठंडे हाथ से रितिका की गरम बगल पर अपना हाथ रखा. रितिका के शरीर में सिरहन सी दौड़ने लगी. भारती बोली – “देखा, मेरे छूने से इतनी प्रॉब्लम, अगर तुम्हारा बॉय-फ्रेंड छूएगा तो क्या होगा. हे भगवान्, तुम्हारा शरीर इतना संवेदनशील है. मेरा पहले बॉय-फ्रेंड मुझे इसलिए छोड़ गया था क्यूंकि मैं उस का स्पर्श सहन नहीं कर पाती थी. वो बोलता था कि मुझे छूने से मैं ऐसे करती थी मानो मेरा बलात्कार कर रहा हो. तुम्हे इस की थोडी आदत डालनी चाहिए.”बोली – “तुम बोलो तो मैं अभी रुक जाती हूँ.” रितिका कुछ न बोली तो भारती ने रितिका को चूमना और चूसना जारी रखा. अब उसका बांया हाथ सरक कर रितिका के कूल्हे को हलके से दबा रहा था और दांया हाथ रितिका के मम्मों की और जा रहा था. जब भारती ने रितिका के मम्मे को अपने हाथ से यूँ थामा के बहुत नाजुक फूल हो जो चूने से पंखुड़ी-पंखुड़ी हो जाएगा तो रितिका यूँ कांप उठी की ज़ोरों से बुखार आया हो. उसमें अब हिम्मत नहीं रही थी कि वो आँखें खुली रखे और भारती का सामना कर पाए. भारती उसके होठों और जीभ को चूसती रही और हौले हौले रितिका के मम्मे को दबाने लगी. फिर भारती ने रितिका को अपने साथ खडा किया और दोनों एक दूसरे के आगोश में एक दूसरे को चूसने लगी. रितिका ने आँखें बंद कर रखी थी और भारती ने धीरे धीरे दबाव में जोर बढाते हुए रितिका के मम्मों और कूल्हों को कस के दबाना शुरू कर दिया. रितिका कांपती भी रही और सिस्कारियां भी भरती रही. भारती ने रितिका को बताया कि अपने हाथों से उसकी कमर सहलाती रहे. ऐसा शायद १०-१५ मिनट चला होगा. आखिर भारती को लगा के एक दिन के लिए बहुत हो गया, तो बोली – “रितिका, मुझे उम्मीद नहीं थी कि एक दिन में तुम इतना आगे आ जाओगी. तुम वाकई में अपने बॉय-फ्रेंड से बहुत प्यार करती हो और मैं प्रोमिस करती हूँ कि अपने एक्सपीरिएंस से तुम्हारी जितनी होगी, मदद करूंगी.” उसने रितिका को ये भी कहा कि मौका देख के अपने बॉय-फ्रेंड (यानी मुझे) किस्स करे. बोली कि खड़े हो कर किस्स करे, मुझसे लिपटे और अगर मुझमें सेक्स की भावना आये, तो उसे पता लगेगा जब मेरा लंड उसके पेट में चुभेगा. ये भी कहा कि जब चाहे किस्स करने की प्रेक्टिस के लिए आ जाए.
इन्हें गलतियाँ कहूं तो इसका मतलब होगा कि मैं पश्चाताप मना रहा हूँ, शुक्र नहीं, लेकिन मैंने अनजाने में कुछ काम ऐसे किये कि रितिका को लगा कि वो मुझे खोने वाली है. मैंने इंग्लैंड की कंपनी में ईमेल के जरिये एक अंग्रेज लडकी से दोस्ती कर ली. वो काफी मददगार थी और मैं पहले कभी भारत से बाहर गया नहीं था, तो उसकी मदद ले रहा था, क्या साथ ले जाना है, रहने-खाने का क्या करना है, वगैरा. आगे पीछे मुझे सिर्फ चूत दिखाई देती, लेकिन दिल साफ़ होता है तो कई बार इधर उधर की बातें नहीं दिखती. वैसे ही, जब रिश्ते में असुर्खशित महसूस कर रहे हो तो हर चीज़ का बेकार में अति-विश्लेषण करने लगते हो. सो, मैं उस अँगरेज़ लडकी कि तारीफ़ करता रहता रितिका के सामने और उसे लगता रहता कि मैं जाते ही उस लडकी पे लाइन मारना शुरू कर दूंगा. मुझे इस बात का बिलकुल भी भान नहीं. और हमारी आपसी- समझ भी थी कि हम शादी से पहले कुछ नहीं करेंगे, सो जब वो मेरे नजदीक आने की कोशिश करती तो मैं समझता कि वो मेरे जाने से पहले ही मुझे मिस्स कर रही है. आखिर एक बार मौका मिला जब हम दोनों अकेले थे. वो मुझसे लिपट गयी. उसके मम्मे जब मेरी छाती से लगे तो एक साल पुरानी कहानी याद आयी, जो सदियों पुरानी लग रही थी. जब उसने मेरी कमर पर हाथों को फेरा तो भी मुझे कुछ न खटका, आखिर वो जब अपने होठों से मेरे मुंह पे चुम्बन लेने लगी तो मैंने हलके हलके ऊपर ऊपर से उसके मुंह पे चुम्बन दिए और बात ख़त्म. मैं तो अपनी समझ से अपने ऊपर काबू रखने की कोशिश कर रहा था और वो ये समझ रही थी कि मुझे उसमें रूचि नहीं रही, सो हताश और निराश हो गयी. मुझे तो ये सब बातें बाद में पता चली लेकिन उस समय मैं किसी तरह से ये नहीं जताना चाहता था कि मैं उसे चुदना चाहता हूँ. कहने की ज़रुरत नहीं कि हलके से चुम्बन के समय मेरा लंड न तो खड़ा हुआ न उस के पेट में चुभा.
इन सब बातों से रितिका इस निष्कर्ष पर पहुँची कि कुछ करना पड़ेगा. ऐसे में उनकी अनुभवी दोस्त भारती से ज्यादा और कौन काम आता, सो वो भारती के पास जा के रो दी. भारती बोली – “यार, परेशानी की बात तो है. मुझे मालूम है तुम्हारे बीच में क्या है. तुम्हारे बॉय-फ्रेंड को लगता है कि तुम एक दम “कोल्ड फिश” यानी कि सर्द लडकी हो और वो तुममें बिलकुल शारीरिक आकर्षण नहीं देखता.” गौर करने की बात ये है कि लडकी भले ही शादी से पहले (या कुछ लोगों के लिए, शादी के बाद भी) शारीरिक रिश्ता न रखना चाहे, ये उसे बिलकुल कबूल नहीं होता कि वो शारीरीक तौर पे आकर्षक न हो. ये सब सुन कर रितिका एकदम परेशान और मायूस हो उठी. बोली – “मैं क्या कर सकती हूँ, यार, तुम नहीं बताओगी तो कौन मेरी मदद करेगा. तुम पहले ही मेरी इतनी मदद कर चुकी हो.” उसे अब भी भारती के हाथों अपना यौन शोषण भारती का बलिदान लग रहा था.
भारती बोली – “तुम्हे अपनी इमेज थोडी बदलनी पड़ेगी. थोडा सा सेक्सी होना कोई बुरी बात नहीं है.” भारती ने रितिका से हेर फेर की बातें जारी रखी और अगले २-३ दिनों तक मानसिक दबाव के जरिये रितिका की सोच को सीमित कर दिया. मैं लन्दन आने की तैय्यारियों में व्यस्त था और भारती के साथ रितिका की बातें इस हद तक पहुँच चुकी थी कि वो अपने माता-पिता से भी सलाह नहीं ले सकती थी, सो रितिका भारती पर कुछ ज़रुरत से ज्यादा निर्भर हो गयी. इस के और भी हज़ारों तरीके हैं और ये तरीका शायद सबसे बचकाना और घटिया है, लेकिन भारती रितिका को २-३ दिनों तक लगातार बहलाती फुसलाती रही. आखिर भारती ने रितिका को इस बात के लिए सहमत कर लिया कि रितिका भारती और उस के बॉय-फ्रेंड, उस रंडीबाज अशोक से रिश्तों के बारे में खुल के बात करे. उस ने न सिर्फ रितिका को इस बात के लिए तैयार किया बल्कि उसे अपना एहसानमंद भी बना दिया कि वो और अशोक किसी और के लिए ऐसा हरगिज़ न करेंगे.
Categories: Uncategorized
Comments (0)
Trackbacks (0)
Leave a comment
Trackback