आख़री मुहब्बत – 1

October 1, 2011 Leave a comment

दोस्तों, मैंने अपने अश्लील व्यवहार से शायद ये अपेक्षा बना दी है के मैं हमेशा चोदने के इरादे से ही लड़कियों की और देखता हूँ और मुझे कभी प्यार हुआ ही नहीं. ऐसा नहीं है. बात मेरे कॉलेज के आखरी साल की है. मैं रितिका से अपने एक सांझे दोस्त के माध्यम से मिला. मैं इंजीनियरिंग कॉलेज में था, हमारे कॉलेज के पास ही उसी यूनिवर्सिटी में साइंस कॉलेज भी था. रितिका का भी आख़री साल था बी. एस. सी. का, बायलोजी में. अब आप समझ ही गए होगे के इन्जीनीयरिंग  में एकदम सूखा पड़ा रहता था लड़कियों का, और हम लोग कॉलेज से आते जाते इन लड़कियों को ताड़ते रहते थे और तरसते रहते थे के हमारी कलास में होती तो कम से कम आँखें गरम कर लेते.

मैंने रितिका को पहले कई बार देखा था, मुझे तीन साल से ऊपर हो गए थे उसी रास्ते से जाते जाते और उसे कोई ढाई साल. काफी सालों से जो लोग दोस्त प्रतीत होते थे, कुछ प्रेमी-प्रेमिका बन गए थे. शायद इस कारण के उन्हें लगता था के इसके बाद पता नहीं मिल पायेंगे के नहीं. या ये डर के कहीं कोई और उनके प्रेमियों को न उड़ा ले. खैर, सार ये के मेरे दोस्तों में से हर कोई गर्ल-फ्रेंड बनाने की धुन में था. और खाली शारीरिक ज़रूरतों के लिए ही नहीं, बल्कि शादी के इरादे से. अब ऐसे में काफी मुश्किल है इस सब से अछूत रहना. मैंने रितिका को काफी लड़कों के साथ देखा था, सो जब मैं उससे मिला और उसने बताया के उसका कभी बॉय-फ्रेंड नहीं रहा है, तो मुझे ख़ुशी भी हुई और आश्चर्य भी. लेकिन ये मानना उतना मुश्किल भी नहीं था. मेरा काफी लड़कियों से पाला पडा था, जो एकदम “कूल” लगती थी, हर तरह की बातें कर लेती थी लेकिन कभी किसी रिश्ते में नहीं पडी थी. खैर, रितिका की एक सहेली, भारती,  मेरे एक जानकार की गर्ल-फ्रेंड थी. और मेरा ये जानकार, अशोक, एक नम्बर का हरामी था. उस ने भारती को ज़बरदस्त तरह तरह से चौदा भी और सोते में उसकी नंगी तसवीरें उतार के हमे दीखाई भी. यहाँ तक कि, मौका देख के भारती की २ साल छोटी बहन को भी बहला फुसा के अपना लंड चूसा दिया, बिना भारती को भनक लगे. ऊपर से एक नंबर का रंडी बाज, सो उसे वैसे भी परवा नहीं थी के भारती उसके साथ रहे या न रहे. हम लोग उससे थोड़े दूर ही रहते थे.
रितिका से पता चला के उसे भी अशोक कोई ज्यादा पसंद नहीं है. उसने कभी ये नहीं बताया के अशोक ने उसके साथ भी चालबाजी करने की कोशिश की के नहीं, लेकिन रितिका जैसी माल और कूल लडकी के पीछे वो न पड़ा हो, असंभव है.  रितिका उस प्रकार की लडकी थी के उससे पहली बार बात करो तो लगता था के पता नहीं कब से जानते हो. मेरी उम्र कोई २१ की रही होगी और २-३ बार मैं अच्छे अच्छे काण्ड कर चुका था. रितिका तब २० साल की थी और मासूमियत और स्मार्ट नेस का अच्छा मिश्रण थी. ज्यादा नहीं, कोई ५’४”-५’५” रही होगी, ज्यादा जिम वगैरा तो नहीं जाती थी, लेकिन उसकी कुदरती अच्छी फिगर थी. कैसे भी कपडे पहनती, एकदम खिल जाती थी. मैं भी उस वक्त उसपे कुछ ज्यादा ही सेंटी था, तो शायद मेरा वर्णन थोडा अति हो रहा हो, लेकिन वो वाकई में बहुत खूबसूरत थी.
एक बात, जो मुझे शुरू में बिलकुल नहीं खटकी, ये थी के वो अपने माता-पिता के कुछ ज्यादा ही करीब थी. अधिकतर लड़कियां होती हैं, लेकिन जब हॉस्टल में रहते हुए भी माता-पिता को सब दोस्तों के, सब टीचरों के, सब दोस्तों के बॉय फ्रेंड, गर्ल फ्रेंड्स के नाम पता हों तो कुछ ज्यादा ही है. मैं उसके साथ एक फिल्म देखने पहली बार गया तो वो भी अपनी माँ को बता दिया. मुझे लगा के अच्छी बात है, मैं उसके परिवार के करीब हूँगा और बात आगे बढ़ती रहेगी. और ऐसा होता भी, अगर भारती ने रितिका को एक सुझाव न दिया होता.
हुआ यूँ के मेरी इंग्लैंड में एक कंपनी में ३ महीने की इन्टर्नशिप लग गयी. मैं बहुत खुश, रितिका बहुत खुश और मुझे पता चला के उसके माता-पिता भी बहुत खुश. हैरानी इस बात की थी के रितिका के किसी भी दोस्त, भले ही कितने दूर का हो, के साथ कुछ हो, उसके माता पिता की हमेशा कोई राय होती थी. अब मैं सोचता हूँ तो लगता है के अच्छा हुआ के मेरी रितिका से शादी नहीं हुई क्यूंकि ज़िंदगी भर झेलना मुश्किल हो जाता. खैर, इन्टर्नशिप का मतलब ये था कि मैं रितिका से ३ महीने के लिए दूर रहूँगा. ये बड़ी बात नहीं थी क्यूंकि मैं हर रोज़ उसको फ़ोन तो करता ही और हर हफ्ते हम लोग विडियो-चैट भी करते. हमारा कोई शारीरिक रिश्ता था नहीं क्यूंकि रितिका के माता-पिता की सोच थी कि शादी से पहले सेक्स नहीं और रितिका का भी यही मानना था. अगर आप लोग कभी किसी के प्यार में पड़े हो, तो आप को समझ में आ ही जाएगा कि मेरे दिमाग में भी कभी शादी से पहले रितिका के साथ सेक्स का ख्याल नहीं आया. लेकिन तकदीर को कुछ और ही मंजूर था और भारती ने रितिका के दिमाग में कुछ बात ड़ाल दी. मुझे ये सब काफी बाद में थोडा अजीबो गरीब तरीके से पता चला, लेकिन जो हुआ, उसका विवरण ये है:
भारती ने रितिका को बताया के भारतीय लड़के जब फोरेन जाते हैं, तो पूरे टाइम गोरी लड़कियों की लेने के चक्कर में लगे रहते हैं. इस बात में सच भी है लेकिन मैं उस समय थोडा अलग था. भारती ने रितिका से पूछा कि हम लोगों ने आपस में क्या किया है और वो बड़ी हैरान हुई जब उसे पता चला के हम लोगों ने कभी किस्स भी नहीं किया. उस ने रितिका से पूछा – “तुम लोगों ने अब तक किस्स भी नहीं किया तो कैसे बॉय-फ्रेंड गर्ल-फ्रेंड बोलते हो एक दूसरे को?” तो रितिका बोली – “लेकिन मम्मी मना करती हैं शादी से पहले कुछ करने से और मैं भी शादी से पहले अपनी वर्जिनिटी नहीं खोना चाहती.” भारती ने जवाब दिया – “बिना वर्जिनिटी खोये भी बहुत कुछ किया जा सकता है, लेकिन सोचो, तुमने कभी उसको किस्स भी नहीं किया और हर किसी को अपनी पहली किस्स पूरी ज़िंदगी याद रहती है, सोचो अगर इंग्लैंड में इसे कोई मिल गयी और दूसरे देश में कोई देखने वाला भी नहीं, तो तुम्हे तुरंत भूल जाएगा. ना भी भूले तो तीन महीने दूर रहने वाले हो, कोई अच्छी याददाश्त तो देनी चाहिए.” बात में थोडा दम था, लेकिन भारती जाने न जाने, रितिका नहीं जानती थी के मैं खेला-खाया हुआ इंसान हूँ. मेरे बिना शारीरिक नजदीकियों वाले नए नए प्यार के बारे में तो यूँ समझिये कि नौ सौ चूहे खा के बिल्ली हज को चली.

रितिका बोली – “अच्छी याददाश्त तो मैं भी देना चाहती हूँ, लेकिन मुझे तुम्हारा सुझाव चाहिए कि क्या करून और कैसे. मैंने अपनी ज़िंदगी में कभी किसी को किस्स भी नहीं किया.” भारती बोली -“ओह, फिर तो तुम्हे थोड़ी प्रेक्टिस करनी पड़ेगी.” रितिका बोली- “प्रेक्टिस, किस्स के लिए दौ लोग चाहिए. प्रेक्टिस और फ़ाइनल एक साथ ही होंगे.” भारती ने सीधे जवाब नहीं दिया लेकिन बोली – “तुम्हे किस्स के साथ और भी थोडा कुछ करना चाहिए. मैं बताती हूँ कहाँ तक जाना और कहाँ रुकना. आगे तुम्हारी मर्जी, लेकिन तुम जानती हो अशोक मेरा तीसरा बॉय-फ्रेंड है. मैं भी तुम्हारे जैसी थी, मेरे पिछले दोनों बॉय-फ्रेंड्स खोने के बाद समझ में आया के बॉय फ्रेंड को कैसे अपने साथ रखना है. मैं खाली अपना अनुभव बताना चाहती हूँ, तुम्हे ठीक न लगे तो न करना.”
“नहीं नहीं, बताओ ना.”, रितिका बोली.
“फिर पहली बात ये के थोड़ी किस्स की प्रेक्टिस करो, नहीं तो जब मुंह से मुंह लगेगा और अन्दर से गीला गीला लगेगा, तो घिन आयेगी. थोड़ी प्रेक्टिस से आदत सी पद जायेगी.”
“क्या बात कर रही हो, मैं किसी और लड़के से किस्स करने की प्रेक्टिस करूँ?” रितिका ने परेशान हो के कहा.
“नहीं, लेकिन मैं जानती हूँ कि तुम किसी का झूठा भी नहीं खाती और एक गिलास से पीती भी नहीं, तुम्हारे लिए पहली बार किस्स करना मुश्किल होगा और मुझे डर है के कहीं तुम उल्टी ना कर दो”. भारती ने तर्क बनाया.
“सच बोलूँ तो मुझे भी यही डर है, लेकिन मैं क्या कर सकती हूँ?”, रितिका बोली.
“ओ के, तुम जानती हो के मुझे इस बारे में काफी अनुभव है, तो मेरी राय मानोगी?”
“हाँ, बोलो, है कोई रास्ता कि मैं थोड़ी प्रेक्टिस भी करूँ और किसी लड़के को भी किस्स न करना पड़े. मैं चाहती हूँ कि मेरा बॉय-फ्रेंड ही पहला लड़का हो जिसे मैं किस्स करूँ.”
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